संस्थापक के उद्देश्य
महाविद्यालय के संस्थापक स्व. देवेन्द्र प्रताप सिंह, न्यायप्रिय एवं सामाजिक व्यक्तित्व के धनी थे, आपने स्वयं को समाज एवं क्षेत्र के सतत् विकास के लिए प्रयासरत रखा। आप गुलाब सिंह पूर्व माध्यमिक विद्यालय, सरायइनायत के प्रबन्धक रहें । आपका कहना है कि शिक्षा व्यक्ति, समाज एवं रा आपका कहना है कि शिक्षा व्यक्ति, समाज एवं राष्ट्र के विकास का मेरूदण्ड है । संस्थपक जी ने प्रारम्भ से ही गरीब एवं जरूरतमन्द युवाओं को रोजगार शिक्षा पर बल दिया । इसी प्रयास के तहत जो छात्र-छात्राऐं विश्वविद्यालयों में प्रवेश पाने में असमर्थ रहे हैं, उनकी प्रतिभा को विकसित करने के उद्देश्य से आपने ज्येष्ठ भ्राता स्व. महेन्द्र प्रताप सिंह जी की सामाजिक राजनीतिक एवं क्षेत्रीय विकास के कार्यों से प्रेरित होकर उनके सम्मान में महेन्द्र प्रताप सिंह लॉ कालेज की स्थापना की ।
प्रबन्धक की कलम से
शिक्षा से ही देश का सामाजिक व आर्थिक विकास संम्भव है । इलाहाबाद में विधिक शिक्षा की आवश्यकता एवं महत्व को देखते हुए महेन्द्र प्रताप सिंह लॉ कालेज की स्थापना की गयी, जो कि छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय एवं बार कॉउन्सिल ऑफ इण्डिया से सम्बद्ध है ।
महाविद्यालय का उद्देश्य छात्रय-छात्राओं को उपाधियों से विभूषित कर देना मात्र नहीं है । यह विधि महाविद्यालय वर्तमान युग की आवश्यकताओं के अनुसार क्षेत्र के शैक्षिक विकास में सतत् योगदान हेतु प्रयासरत रहेगा तथा सामाजिक आवश्यकताओं की पूर्ति करेगा ।
जीवन का सर्वश्रेष्ठ समय आप हमारे सनिध्य में बिताने जा रहे हैं, विधि महाविद्यालय में उपलब्ध सुविधाओं की सर्वोत्तम उपयोग हेतु हम आपको आमंत्रित करते है और महाविद्यालय के परिसर की अभिवृद्धि की आपसे अपेक्षा करते हैं ।
लॉ में कैरियर
हमारे देश की लगभग 70 प्रतिशत जनता ग्रामीण अंचलों में रहती है । उचित मार्गदर्शन न होने के कारण देश में माध्यमिक व स्नातक स्तरों पर व्यवसायिक व तकनीकी शिक्षा पर कम बल दिया जाता है, जिससे रोजगार पाने की संभावना क्षीण हो जाती है । विद्यार्थी केवल डिग्री लेकर ही रह जाता है । एल-एल.बी की शिक्षा सही मार्गदर्शन करती है । एल-एल.बी करने के बाद आपके पास सिर्फ लीगल प्रैक्टिस करने का ही विकल्प नहीं है, बल्कि आप अपनी इच्छा अनुसार देश-विदेश की मल्टिनैशनल कम्पनियों में भी काम कर सकते हैं । अनुभव के बाद अपनी इच्छानुसार सरकारी विभागों और निजि कम्पनियों के लिए लीगल कन्सलटेंट का भी काम कर सकते हैं । एजुकेशन और रिसर्च से जुडे रहने के इच्छक युवा एल-एल.एम और एल-एल.डी करने के बाद टीचिंग के प्रोफेशन में भी जा सकते हैं । लॉ को कैरियर के रूप में चुनने वाले अधिकॉश विद्यार्थियों का सपना होता है कि न्यायिक सेवा परिक्षा में चयनित होकर न्यायधीश का पद प्राप्त करना है । सिविल जज के प्रतिष्ठापूर्ण पद के अतिरिक्त वकीलों को संघ लोक सेवा आयोग द्वारा उनके अनुभव के आधार पर केन्द्रीय सेवाओं में भी नियुक्त किया जाता है । केन्द्रीय स्तर पर लॉ आफिसर, लीगल एडवाइजर, डिप्टी लीगल एडवाइजर आदि के पद हैं । राज्यों में राज पुलिस, राजस्व एवं न्यायिक विभागों में वकीलों की नियुक्ति की जाती है । विभिन्न स्तर के अधीनस्थ न्यायालयों में न्यायिक दण्डाधिकारी, जिला एवं सत्र न्यायधीश, सबमजिस्ट्रेट, लोक अभियोजक, एडवोकेट जनरल, नोटरी एवं शपथ पत्र आयुक्त के पद उपलब्ध है । कॉरपोरेट घरानों और कम्पनियों से जुडे वकीलों का भी वेतन आकर्शक होता है । कई जगह कम्पनी सेक्रेटरी के रूप में और लॉ रिपोर्ट लिखने हेतु राइटर की भूमिका में भी रोजगार पाया जा सकता है । शाक्षण व रक्षा सेवा में भी जाने के विकल्प इस पेशे में हैं । लॉ कोर्स के तहत सिविल लॉ, क्रिमिनल लॉ, कॉरपोरेट लॉ, प्रापर्टी लॉ, इनकमटैक्स लॉ, इनटरनैशनल लॉ, फैमिली लॉ, लेबर लॉ, प्रेस लॉ, एकसाइस लॉ, कान्स्टीट्यूशनल लॉ, एडमिनिसट्रेशन लॉ, सेल्स आफ गुडस लॉ, ट्रेड लॉ, कॉपीराइट लॉ, पेटेन्ट लॉ आदि के बारे में पढाया जाता है । लॉ के इन विभिन्न क्षेत्रों में विशेषज्ञता हासिल कर इसमे भी कैरियर बनाया जा सकता है ।
भारत में वाणिज्यिक, आर्थिक, राजनीतिक गतिविधियों के बढने के साथ न्यायिक तंत्र का भी भरपूर विकास हुआ है । वैश्विकरण, नितिकरण और उदारीकरण जैसी प्रव्रित्तियों के विकास के साथ कानून के क्षेत्र में कैरियर बनाने के प्रति आकर्षण न सिर्फ बढा है, बल्कि नई संभावनाओं के भी द्वार खुले हैं । वर्तमान भारत सम्पूर्ण विशव के लिए कॉर्पोरेट, मार्केट और निवेश के सन्दर्भ में आकर्षण का महत्वपूर्ण केंद्र है । बडी कम्पनियाँ न सिर्फ भारत में निवेश कर रही हैं, बल्कि साथ ही साथ अपने उपक्रम भी स्थापित कर रही हैं । आर्थिक क्षेत्र में होने वाले इस विस्तार से व्यवसाय जगत में विधि पेशेवरों का महत्व भी बढ जा रहा है । प्रत्येक कम्पनी का एक लीगल सेल होता है, जो कम्पनी के हितों व व्यवसायिक कार्यों के वैधानिक पहलुओं का देखभाल और संचालन करता है । किसी भी विवाद की स्थिति में न्यायालय में कम्पनी का प्रतिनिधित्व करना, कम्पनी को कानूनी सलाह देना और कम्पनी द्वारा किये जाने वाले एग्रीमेंट आदि की गहन पडताल करना विधि पेशेवरों के प्रमुख उत्तरदायित्व होते हैं । वे युवा जिनकी रूचि कानून में हो और जो अपने जीवन में चुनौतियों से जूझना चाहते हैं, उनके लिए वर्तमान में अनेक संभावना का उद्घाटन भी हुआ है । संक्षेप में कहा जा सकता है कि पिछले कुछ वर्षों से अर्थव्यवस्था और समाज में होने वाले परिवर्तनों ने उत्साही और चुनौतयों को पसंद करने वाले युवाओं के समक्ष कानून के क्षेत्र में महत्वपूर्ण व व्यापक कैरिअर के अवसर भी उपलब्ध कराए हैं ।